आएँ, ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ सीखें ज्योतिष सिर्फ़ २ मिनट में। अब आप ज्योतिष और भी आसानी से सीख सकते हैं, क्योंकि हम आपको ज्योतिष सीखने की एक शृंखला दे रहे हैं I आज का विषय है ‘मित्र और शत्रु ग्रह’।
नमस्कार। उच्च, नीच राशि के अलावा फलित के लिए ग्रहों की मित्रता एवं शत्रुता को भी जानना आवश्यक है। सूर्यादि ग्रह दूसरे ग्रहों के प्रति सम, मित्र, एवं शत्रु होते हैं। मित्र शत्रु तालिका को टेबल में देखें।
यह तालिका बहुत महत्वपूर्ण है और इसे भी याद करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि यह तालिका बहुत बड़ी लगे तो डरने की कोई ज़रुरत नहीं। तालिका समय एवं अभ्यास के साथ खुद व खुद याद हो जाती है। मोटे तौर पर वैसे हम ग्रहो हो दो भागों में विभाजित कर सकते हैं जो कि एक दूसरे के शत्रु हैं -
भाग 1 - सूर्य, चंद्र, मंगल और गुरु
यह याद रखने का आसान तरीका है परन्तु हर बार सही नहीं है। ऊपर वाली तालिका याद रखें तो ज्यादा बेहतर है।
मित्र-शत्रु का मतलब यह है कि जो ग्रह अपनी मित्र ग्रहों की राशि में हो एवं मित्र ग्रहों के साथ हो वह ग्रह अपन शुभ फल देगा। इसके विपरीत कोई ग्रह अपने शत्रु ग्रह की राशि में हो या शत्रु ग्रह के साथ हो तो उसके शुभ फल में कमी आ जाएगी।
इस वीडियो में इतना ही। नमस्कार।
नमस्कार। उच्च, नीच राशि के अलावा फलित के लिए ग्रहों की मित्रता एवं शत्रुता को भी जानना आवश्यक है। सूर्यादि ग्रह दूसरे ग्रहों के प्रति सम, मित्र, एवं शत्रु होते हैं। मित्र शत्रु तालिका को टेबल में देखें।
ग्रह | मित्र | शत्रु | सम |
सूर्य | चन्द्र, मंगल, गुरू | शनि, शुक्र | बुध |
चन्द्रमा | सूर्य, बुध | कोई नहीं | शेष ग्रह |
मंगल | सूर्य, चन्द्र, गुरू | बुध | शेष ग्रह |
बुध | सूर्य, शुक्र | चंद्र | शुक्र, शनि |
गुरू | सुर्य, चंन्द्र, मंगल | शुक्र, बुध | शनि |
शुक्र | शनि, बुध | शेष ग्रह | गुरू, बुध |
शनि | बुध, शुक्र | शेष ग्रह | गुरू |
राहु, केतु | शुक्र, शनि | सूर्य, चन्द्र, मंगल | गुरू, बुध |
यह तालिका बहुत महत्वपूर्ण है और इसे भी याद करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि यह तालिका बहुत बड़ी लगे तो डरने की कोई ज़रुरत नहीं। तालिका समय एवं अभ्यास के साथ खुद व खुद याद हो जाती है। मोटे तौर पर वैसे हम ग्रहो हो दो भागों में विभाजित कर सकते हैं जो कि एक दूसरे के शत्रु हैं -
भाग 1 - सूर्य, चंद्र, मंगल और गुरु
भाग 2 - बुध, शुक्र, शनि, राहु, केतु
यह याद रखने का आसान तरीका है परन्तु हर बार सही नहीं है। ऊपर वाली तालिका याद रखें तो ज्यादा बेहतर है।
मित्र-शत्रु का मतलब यह है कि जो ग्रह अपनी मित्र ग्रहों की राशि में हो एवं मित्र ग्रहों के साथ हो वह ग्रह अपन शुभ फल देगा। इसके विपरीत कोई ग्रह अपने शत्रु ग्रह की राशि में हो या शत्रु ग्रह के साथ हो तो उसके शुभ फल में कमी आ जाएगी।
इस वीडियो में इतना ही। नमस्कार।