आएँ, ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ सीखें ज्योतिष सिर्फ़ २ मिनट में। अब आप ज्योतिष और भी आसानी से सीख सकते हैं, क्योंकि हम आपको ज्योतिष सीखने की एक शृंखला दे रहे हैं I आज का विषय है ‘स्वभाव एवं कारकत्व - २’I
आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-
सूर्य और चंद्र के बाद इस वीडियो में बाकी के ग्रहों को समझते हैं।
मंगल
क्रूर, आक्रामक, पुरुष, क्षत्रिय, पाप, तमोगुणी, अग्नितत्व, पित्त प्रकृति आदि मंगल का स्वाभाव है। लाल रंग, भाई बहन, युद्ध, हथियार, चोर, घाव, रक्त, मांसपेशियाँ, ऑपरेशन, आदि का कारक मंगल है। मंगल खराब होगा तो मंगल के कारकत्व को नुकसान पहुंचेगा। जैसे चोरी बहुत होंगी, चोट अक्सर लगेगी आदि।
बुध
नपुंसक, वैश्य जाति, रजोगुणी, त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) प्रकृति बुध का स्वाभाव है। हरा रंग, मामा, गणित, व्यापार, बोलना, आदि का कारक बुध है।
बुध अच्छा होगा तो व्यक्ति की गणित की समझ अच्छी होगी। अगर इससे उलट बुध खराब हो तो गणित समझने में मुशिकल होती है और ऐसे में बेहतर होता है कि विज्ञान की जगह कला की शिक्षा ग्रहण की जाय।
बुध अच्छा होगा तो व्यक्ति की गणित की समझ अच्छी होगी। अगर इससे उलट बुध खराब हो तो गणित समझने में मुशिकल होती है और ऐसे में बेहतर होता है कि विज्ञान की जगह कला की शिक्षा ग्रहण की जाय।
गुरु
मोटा शरीर, पुरुष, ब्राह्मण, सौम्य, सत्वगुणी, कफ प्रकृति गुरु का स्वाभाव है। पीला रंग, वेद, धर्म, भक्ति, स्वर्ण, ज्ञानी, गुरु, चर्बी, कफ, विद्या, पुत्र, पौत्र, विवाह आदि का गुरु प्रतिनिधित्व करता है।
शुक्र
सुन्दर शरीर, स्त्री, ब्राह्मण, सौम्य, कफ प्रकृति शुक्र का स्वाभाव है। सफेद रंग, सुन्दर कपडे, सुन्दरता, पत्नी, प्रेम सम्बन्ध, वीर्य, काम-शक्ति, वैवाहिक सुख, काव्य, स्त्री का प्रतिनिधि शुक्र है।
शुक्र के कारकत्व को देखते हुए यह समझना मुश्किल नहीं की शुक्र का कुण्डली में अच्छा होना वैवाहिक जीवन के लिए उत्तम है।
शनि
धसी हुई आंखें, पतला लंबा शरीर, क्रूर, नपुंसक, शूद्रवर्ण, पाप, तमोगुणी, वात कफ प्रकृति है शनि की। काला रंग, चाचा, नौकर, आयु, वैराग्य, आदि का प्रतिनिधि शनि है। शनि खराब हो तो नौकरों से परेशानी होती है। चाचा से तनाव रहता है।
राहु - केतु
पाप, चाण्डाल, तमोगुणी, वात पित्त प्रकृति राहु केतु का स्वाभाव है।
गहरा धुंए जैसा रंग, दादा, धोखा, जुआ सट्टा, विदेश, सांप, विधवा आदि राहु के कारकत्व हैं।
तंत्र मंत्र, मोक्ष, दुर्घटना, नाना, झगडा, चोरी, चर्म रोग, कुत्ता, भूख का प्रतिनिधि केतु हैं।
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मोटा शरीर, पुरुष, ब्राह्मण, सौम्य, सत्वगुणी, कफ प्रकृति गुरु का स्वाभाव है। पीला रंग, वेद, धर्म, भक्ति, स्वर्ण, ज्ञानी, गुरु, चर्बी, कफ, विद्या, पुत्र, पौत्र, विवाह आदि का गुरु प्रतिनिधित्व करता है।
शुक्र
सुन्दर शरीर, स्त्री, ब्राह्मण, सौम्य, कफ प्रकृति शुक्र का स्वाभाव है। सफेद रंग, सुन्दर कपडे, सुन्दरता, पत्नी, प्रेम सम्बन्ध, वीर्य, काम-शक्ति, वैवाहिक सुख, काव्य, स्त्री का प्रतिनिधि शुक्र है।
शुक्र के कारकत्व को देखते हुए यह समझना मुश्किल नहीं की शुक्र का कुण्डली में अच्छा होना वैवाहिक जीवन के लिए उत्तम है।
शनि
धसी हुई आंखें, पतला लंबा शरीर, क्रूर, नपुंसक, शूद्रवर्ण, पाप, तमोगुणी, वात कफ प्रकृति है शनि की। काला रंग, चाचा, नौकर, आयु, वैराग्य, आदि का प्रतिनिधि शनि है। शनि खराब हो तो नौकरों से परेशानी होती है। चाचा से तनाव रहता है।
राहु - केतु
पाप, चाण्डाल, तमोगुणी, वात पित्त प्रकृति राहु केतु का स्वाभाव है।
गहरा धुंए जैसा रंग, दादा, धोखा, जुआ सट्टा, विदेश, सांप, विधवा आदि राहु के कारकत्व हैं।
तंत्र मंत्र, मोक्ष, दुर्घटना, नाना, झगडा, चोरी, चर्म रोग, कुत्ता, भूख का प्रतिनिधि केतु हैं।
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