अब आप ज्योतिष और भी आसानी से सीख सकते हैं, क्योंकि हम आपको ज्योतिष सीखने की एक शृंखला दे रहे हैं I आज का विषय है ‘कुण्डली’I
आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-
ग्रहों के बारे में जान लिया और राशि के बारे में जान लिया। अब जानते हैं कुण्डली के बारे में। कुण्डली का खाका इस प्रकार है।
थोड़ी देर इस खाके में लिखे हुए नम्बरों को भूल जाते हैं। यह जो उपर का बड़ा चौकौर हिस्सा है, इसे लग्न कहते हैं। लग्न को पहला भाव भी कहते हैं और यहीं से भाव की गणना की जाती है। समझने के लिए ग्राफिक्स में देखें यानि कि यह पहला भाव, यह दूसरा भाव, यह तीसरा भाव और यह बारहवां भाव। कुण्डली में भाव कि जगह निश्चित है चाहे नम्बर वहां कोई भी लिखा हो। इस कुण्डली में शुक्र और राहु पांचवे घर में बैठे हैं। घर को भाव या खाना भी कह देते हैं। चंद्र और मंगल छठे घर में बैठै हैं, शनि, सूर्य और बुध सातवें भाव में बैठे हैं और गुरु और केतु ग्यारहवे भाव में बैठे हैं।
नम्बर बताता हैं राशि को और राशि से पता चलता है उस भाव का स्वामी। इस कुण्डली में हम कह सकते हैं कि लग्न में ग्यारहवीं राशि यानि कि कुंभ राशि है। इसे इस तरह भी कहते हैं कि इस व्यक्ति का कुंभ लग्न है। याद है न कि ग्यारहवीं राशि कुंभ राशि है।
इस नम्बर से भावेश यानि भाव के स्वामी का पता चलता है। इस कुण्डली में लग्न में 11 लिखा है। हम जानते हैं कि 11वीं राशि कुंभ होती है। हम यह भी जानते हैं कि 11वीं राशि का स्वामी शनि होता है। इसलिए हम यह कहेंगे कि लग्न यानि कि पहले भाव का स्वामी शनि है। इसी तरह दूसरे भाव में 12 लिखे होने की वजह से दूसरे भाव का स्वामी गुरु है।
राशियों के स्वामी निश्चित हैं और भाव के स्वामी हर कुण्डली के हिसाब से बदलते रहते हैं।
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इस नम्बर से भावेश यानि भाव के स्वामी का पता चलता है। इस कुण्डली में लग्न में 11 लिखा है। हम जानते हैं कि 11वीं राशि कुंभ होती है। हम यह भी जानते हैं कि 11वीं राशि का स्वामी शनि होता है। इसलिए हम यह कहेंगे कि लग्न यानि कि पहले भाव का स्वामी शनि है। इसी तरह दूसरे भाव में 12 लिखे होने की वजह से दूसरे भाव का स्वामी गुरु है।
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