Exaltation & Debilitation (उच्‍च और नीच ग्रह) 2 Minute Astrology Tutorial (Part-8)

आएँ, ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ सीखें ज्योतिष सिर्फ़ २ मिनट में। अब आप ज्योतिष और भी आसानी से सीख सकते हैं, क्योंकि हम आपको ज्योतिष सीखने की एक शृंखला दे रहे हैं I आज का विषय है ‘उच्‍च और नीच ग्रह ’।

 जैसा कि मैंने पहले बताया है एक ग्रह का अच्‍छा या बुरा फल कई अन्‍य बातों पर निर्भर करता है। 6, 8, 12 भावों में ग्रहों के कारकत्‍व को नुकसान पहुंचता है। उसी तरह एक और महत्‍वपूर्ण बात है ग्रह की राशि में स्थिति। कोई भी ग्रह सामान्‍यत अपनी उच्‍च राशि, मित्र राशि, एवं खुद की राशि में अच्‍छा फल देते हैं। इसके विपरीत ग्रह अपनी नीच राशि और शत्रु राशि में बुरा फल देते हैं।


ग्रहों की उच्‍च और नीच राशियाँ निचे दिए गए टेबल में देखें।

ग्रह मित्र शत्रु सम
सूर्य चन्द्र, मंगल, गुरू शनि, शुक्र बुध
चन्द्रमा सूर्य, बुध कोई नहीं शेष ग्रह
मंगल सूर्य, चन्द्र, गुरू बुध शेष ग्रह
बुध सूर्य, शुक्र चंद्र शुक्र, शनि
गुरू सुर्य, चंन्‍द्र, मंगल शुक्र, बुध शनि
शुक्र शनि, बुध शेष ग्रह गुरू, बुध
शनि बुध, शुक्र शेष ग्रह गुरू
राहु, केतु शुक्र, शनि सूर्य, चन्‍द्र, मंगल गुरू, बुध

तालिका में कुछ ध्‍यान देने वाली बाते हैं। पहली ग्रह की उच्‍च राशि और नीच राशि एक दूसरे से सातवीं होती हैं। जैसे सूर्य मेष में उच्‍च का होता है जो कि राशि चक्र की पहली राशि है और तुला में नीच होता है जो कि राशि चक्र की सातवीं राशि है।

ग्रह उच्‍च राशि में सबसे बलवान होता है। अपनी राशि में दूसरी श्रेणी का बलवान, मित्र राशि में तीसरी श्रेणी का बलवान, सम राशि में चौथी श्रेणी का, शत्रु राशि में पांचवी श्रेणी और नीच राशि में छठी श्रेणी का यानि सबसे कमजोर होता है।

कुण्‍डली देखना शुरु करें उससे पहले यह नोट करें की कौन कौन से ग्रह अपनी उच्‍च और नीच राशियों में स्थित हैं। जो ग्रह उच्‍च राशि में होते हैं तो अपना फल दे पाते हैं। अगर ग्रह नीच या शत्रु राशि में होकर कमजोर हो तो अपना फल नहीं दे पाते। अपना फल यानि अपने कारकत्‍व और उन भावों के कारकत्‍व जिनका वह ग्रह स्‍वामी हो।

इस वीडियो में इतना ही। नमस्‍कार।

पुनीत पाण्डे

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